सजणीचे रूप ...!!
(पंढरीचा पांडुरंग आणि संतश्रेष्ट
तुकारामांच्या पायी नतमस्तक होवुन)
रूपये पाहता लोचनी। सुखी झाली ती साजणी ॥१॥
म्हणे व्यापारी बरवा। म्हणे पगारी बरवा ॥२॥
शेती बागा त्याचे घरी। परी नको शेतकरी ॥३॥
ऐसे सजणीचे रूप। पदोपदी दिसे खूप ॥४॥
अभय म्हणे कास्तकारा। डोहामधी डुबक्या मारा ॥५॥
गंगाधर मुटे.
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GANGADHAR MAHODAY,
ReplyDeleteSAJANICHA MANOGAT AGADI TANTOTANT MANDALT HO! EKAA BAJULAA MULINCHI VAANAVAA TAR DUSARYAA BAAJULA TYANCHI HI ASHI MAGANI.
RAJASTHANA-PANJABAAT AATAA MULICH MILAT NAAHIT MHANUN BIHARATUN TYANCHI AAYAT CHALU AAHE.
KAAY BHAYANAK DIVAS AALE HO HE?
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